Trump Tariff: वैश्विक व्यापार जगत में उस समय हलचल मच गई जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अचानक आठ देशों पर कड़े आयात शुल्क लगाने की घोषणा कर दी. इस सूची में ब्राजील को सबसे सख्त कार्रवाई झेलनी पड़ी, जहां ट्रंप ने 50% टैरिफ लगाने का आदेश दे दिया है. यह फैसला न सिर्फ व्यापारिक संदर्भ में, बल्कि राजनीतिक पृष्ठभूमि में भी अहम माना जा रहा है, और ब्राजील ने भी तुरंत तीखी प्रतिक्रिया देते हुए इसे सीधे-सीधे चुनौती के रूप में लिया.
‘संप्रभुता से समझौता नहीं होगा’
ट्रंप की घोषणा के कुछ ही घंटों बाद ब्राजील के राष्ट्रपति लूला डा सिल्वा ने सख्त बयान देते हुए चेताया कि अगर अमेरिका ने एकतरफा आर्थिक दबाव बनाया, तो ब्राजील भी पारस्परिक कदम उठाएगा. लूला का यह बयान सिर्फ व्यापार नीति तक सीमित नहीं था, बल्कि इसमें अमेरिकी हस्तक्षेप को लेकर भी गंभीर आपत्ति दर्ज की गई. ब्राजील सरकार ने साफ कहा कि वह किसी भी देश द्वारा आर्थिक दबाव या राजनीतिक टिप्पणी को बर्दाश्त नहीं करेगी.
बोलसोनारो विवाद से जुड़ा है मामला?
इस पूरे घटनाक्रम में एक दिलचस्प मोड़ यह है कि ट्रंप ने पूर्व राष्ट्रपति जायर बोलसोनारो से जुड़े कानूनी विवाद का हवाला देते हुए ब्राजील पर यह कार्रवाई की है. बोलसोनारो इस समय ब्राजील में तख्तापलट की साजिश के आरोपों का सामना कर रहे हैं. इस पर लूला का स्पष्ट संदेश था. ब्राजील की न्याय प्रणाली स्वतंत्र है और कोई भी बाहरी ताकत हमारी कानूनी प्रक्रिया को प्रभावित नहीं कर सकती.
सोशल मीडिया पर दिया बयान
ट्रंप की घोषणा के बाद लूला ने X (पूर्व में ट्विटर) पर भी प्रतिक्रिया दी. उन्होंने लिखा कि ब्राजील एक स्वतंत्र राष्ट्र है. हमारी संस्थाएं स्वायत्त हैं और हम किसी भी विदेशी दखल को अस्वीकार करते हैं. लूला ने यह भी कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मतलब नफरत और हिंसा फैलाने की छूट नहीं हो सकती. ब्राजील सरकार ऑनलाइन हेट स्पीच, नस्लभेद या बच्चों से जुड़ी आपत्तिजनक सामग्री के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए हुए है — चाहे वह स्थानीय हो या अंतरराष्ट्रीय मंच से संचालित.
ट्रंप के आरोपों पर तथ्यों से दिया जवाब
ट्रंप ने ब्राजील पर यह भी आरोप लगाया कि उसने अमेरिका की चुनावी प्रक्रिया और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला किया है. इस पर लूला ने तथ्यों के साथ पलटवार करते हुए कहा कि पिछले 15 वर्षों में अमेरिका को ब्राजील के साथ व्यापार में 410 अरब डॉलर का लाभ हुआ है. ये सिर्फ आंकड़े नहीं, बल्कि अमेरिका की ही सरकारी रिपोर्टों से निकला सच है.
क्या बन रहा है नया व्यापारिक मोर्चा?
ट्रंप की घोषणा से यह स्पष्ट है कि यदि वह फिर से सत्ता में लौटते हैं, तो अमेरिका का वैश्विक व्यापार रुख और अधिक उग्र हो सकता है. वहीं ब्राजील ने भी यह साबित कर दिया है कि वह अब किसी भी दबाव में झुकने को तैयार नहीं. आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या यह विवाद एक व्यापक व्यापार युद्ध का रूप लेता है या दोनों देशों के बीच कूटनीतिक स्तर पर समाधान निकलता है.
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