Trump Tariff: यूरोपीय संघ और मेक्सिको पर 30% शुल्क, वैश्विक व्यापार में नई हलचल

Trump Tariff

Trump Tariff: दुनिया के व्यापारिक समीकरणों में बड़ा झटका उस समय देखने को मिला जब अमेरिका के और संभावित भावी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यूरोपीय यूनियन और मैक्सिको से आयातित वस्तुओं पर 30 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर दिया. यह फैसला 1 अगस्त 2025 से लागू होगा, जिससे वैश्विक बाजारों में नई अनिश्चितता पैदा हो गई है.

ट्रंप ने यह घोषणा अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर साझा किए गए पत्रों के जरिए की. इस कदम से साफ हो गया है कि अमेरिका का व्यापारिक दृष्टिकोण एक बार फिर ‘अमेरिका फर्स्ट’ नीति की ओर लौट रहा है.

मेक्सिको पर सख्त रुख, ट्रंप बोले – ‘अब काफी हो गया’

अपने पत्र में ट्रंप ने यह माना कि मेक्सिको ने अवैध प्रवास और नशीली दवाओं की तस्करी, खासकर फेंटेनाइल, को रोकने में आंशिक सफलता पाई है. लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि मेक्सिको ने “नार्को-तस्करी के मैदान” को पूरी तरह खत्म करने के लिए पर्याप्त कार्रवाई नहीं की है, इसलिए अब व्यापार पर दबाव डालना जरूरी है.

EU की रणनीति पर पानी फिरा, अस्थायी समझौते की उम्मीद

यूरोपीय यूनियन को उम्मीद थी कि अमेरिका के साथ एक व्यापक और निष्पक्ष व्यापार समझौता हो पाएगा, जिसमें औद्योगिक सामान पर शुल्क नहीं लगेगा. लेकिन महीनों चली बातचीत के बाद ट्रंप के इस फैसले ने EU की योजना को गहरा झटका दिया है. अब EU को लगता है कि शायद उसे एक छोटे, सीमित और अस्थायी करार से ही संतोष करना होगा.

  • जर्मनी, जहां भारी औद्योगिक निर्यात होता है, समझौते को प्राथमिकता दे रहा है.
  • वहीं, फ्रांस जैसे कुछ देश अमेरिका की शर्तों पर समझौते के खिलाफ हैं.

अन्य देश भी निशाने पर: जापान, कनाडा, ब्राज़ील शामिल

अमेरिका ने केवल EU और मैक्सिको तक सीमित रहकर टैरिफ का दायरा नहीं रखा.
जापान, दक्षिण कोरिया, कनाडा और ब्राज़ील जैसे देशों पर भी 1 अगस्त से नए शुल्क लागू हो जाएंगे.
ट्रंप ने इन सभी देशों को पहले ही 9 जुलाई तक का अल्टीमेटम दिया था, लेकिन कोई समझौता नहीं हो पाया.

टैरिफ से अमेरिका को बड़ा राजस्व लाभ

ट्रंप की टैरिफ नीति से अमेरिकी सरकार को तगड़ा वित्तीय फायदा हो रहा है.

  • अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के आंकड़ों के अनुसार, मौजूदा वित्तीय वर्ष में सीमा शुल्क से 100 अरब डॉलर से अधिक की कमाई हो चुकी है.
  • इन टैरिफ्स से घरेलू उद्योगों को प्रतिस्पर्धात्मक बढ़त मिलती है, लेकिन वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं पर दबाव बढ़ता है.

क्या फिर लौट रहा है प्रोटेक्शनिज्म का युग?

डोनाल्ड ट्रंप की वापसी के साथ अमेरिका की व्यापार नीति एक बार फिर रक्षणवाद (protectionism) की ओर बढ़ती दिख रही है. टैरिफ के इस नए दौर ने WTO और बहुपक्षीय व्यापार समझौतों की अहमियत पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. आने वाले हफ्तों में यह देखना दिलचस्प होगा कि EU, मेक्सिको और अन्य प्रभावित देश इस टैरिफ नीति का जवाब किस रूप में देते हैं. संवाद की राह पकड़ते हैं या प्रतिशोध के कदम उठाते हैं.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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