Russia Attack on Ukraine: तीन साल से ज्यादा समय से जारी रूस-यूक्रेन युद्ध में अब एक नया और खतरनाक मोड़ आ चुका है. रूस ने एक बार फिर यूक्रेन के सैन्य ढांचे को झकझोरने के लिए अपने घातक हथियारों का इस्तेमाल किया है, लेकिन इस बार चर्चा में है ‘किंजल’ वो हाइपरसोनिक मिसाइल जिसे दुश्मन की आंखें पकड़ ही नहीं सकतीं और रडार पकड़ नहीं पाते.
हाल ही में रूस के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की कि उसके सशस्त्र बलों ने यूक्रेन के खमेलनित्सकी क्षेत्र के सैन्य एयरबेस पर बड़े स्तर पर हमला किया है और इसमें ‘किंजल’ हाइपरसोनिक मिसाइल का भी प्रयोग किया गया. इस हमले की जानकारी खमेलनित्सकी की क्षेत्रीय सैन्य प्रशासन के प्रमुख सेरही तियुरिन ने भी अपने टेलीग्राम चैनल के माध्यम से दी.
क्यों खास है किंजल?
किंजल, जिसे आधिकारिक तौर पर Kh-47M2 कहा जाता है, रूस की हाइपरसोनिक एरोस्पेस तकनीक की एक झलक है. यह मिसाइल 2018 में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन द्वारा पहली बार दुनिया के सामने पेश की गई थी. इसकी क्षमता और गति ऐसी है कि इसे रोक पाना मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम्स के लिए लगभग नामुमकिन है.
किंजल को खासतौर पर इस्कंदर-एम बैलिस्टिक मिसाइल से विकसित किया गया है. इसकी मारक दूरी 1,500 से लेकर 2,000 किलोमीटर तक बताई जाती है और यह पारंपरिक के साथ-साथ 480 किलोग्राम वजनी परमाणु वारहेड को भी ढो सकती है. यही वजह है कि इस मिसाइल का सिर्फ नाम ही दुश्मनों के लिए डर का कारण बन जाता है.
हवा से मार करने वाली मिसाइल
इस मिसाइल की एक बड़ी खूबी यह है कि इसे हवा से लॉन्च किया जा सकता है. रूस इसे MiG-31K इंटरसेप्टर और Tu-22M3 बॉम्बर जैसे फाइटर जेट्स से दागता है. हवा में मौजूद ये जेट्स इसे किसी भी दिशा में और किसी भी ऊंचाई से निशाना बना सकते हैं, जिससे दुश्मन के लिए पहले से इसका अंदाजा लगाना नामुमकिन हो जाता है.
क्यों नहीं रोक पाते पश्चिमी देश?
किंजल की सबसे खतरनाक बात उसकी स्पीड और दिशा बदलने की क्षमता है. यह 10 मैक (ध्वनि की गति से 10 गुना तेज़) तक की रफ्तार पकड़ सकती है और अपने रास्ते में किसी भी रुकावट से आसानी से बच सकती है. यही वजह है कि NATO और पश्चिमी देशों की एडवांस एयर डिफेंस तकनीक भी अब तक इसे रोक पाने में असफल रही है.
रूस का दावा है कि वर्तमान में पश्चिमी देशों के पास कोई ऐसा सिस्टम नहीं है जो किंजल को इंटरसेप्ट कर सके. यूक्रेनी सेना के पास भी जो एयर डिफेंस सिस्टम है, वह पारंपरिक मिसाइलों को रोकने में सक्षम तो हो सकता है, किंजल जैसी हाइपरसोनिक मिसाइल के आगे पूरी तरह बेबस साबित हो रहा है.
क्यों बनाई गई थी यह मिसाइल?
किंजल का विकास सिर्फ युद्ध के लिए नहीं, बल्कि रूस की सामरिक स्थिति को और मज़बूत करने के लिए किया गया था. यह मिसाइल NATO की सैन्य गतिविधियों और उनकी उपस्थिति के खिलाफ रूस की प्रतिक्रिया का हिस्सा है. इसका मुख्य उद्देश्य दुश्मन के एयर डिफेंस नेटवर्क, कमांड सेंटर, रडार सिस्टम और युद्धपोतों को नष्ट करना है.
किंजल की सबसे बड़ी ताकत यह है कि यह पारंपरिक और परमाणु दोनों किस्म के हथियार ले जा सकती है, जिससे यह रूस को हर संभावित युद्ध परिस्थिति में बढ़त दिला सकती है.
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