Protest in UK: ब्रिटिश सरकार द्वारा फिलिस्तीन एक्शन नामक संगठन को आतंकी समूह घोषित किए जाने के विरोध में शनिवार को देशभर में हुए प्रदर्शनों के दौरान 42 लोगों को हिरासत में लिया गया. लंदन पुलिस (मेट्रोपॉलिटन पुलिस) के अनुसार, गिरफ्तार किए गए 42 लोगों में से 41 को प्रतिबंधित संगठन के समर्थन में नारे लगाने, विशेष परिधान पहनने या झंडे और प्रतीकों का प्रदर्शन करने के आरोप में पकड़ा गया है. एक अन्य व्यक्ति को सामान्य मारपीट के मामले में हिरासत में लिया गया.
विरोध की दूसरी लहर, पहले भी हो चुकी हैं गिरफ्तारियां
यह प्रदर्शन दूसरे सप्ताह भी जारी रहा. इससे पहले पिछले सप्ताह भी इसी मुद्दे पर प्रदर्शन हुए थे, जिसमें 29 लोगों को गिरफ्तार किया गया था. शनिवार के प्रदर्शन के दौरान प्रदर्शनकारी पार्लियामेंट स्क्वायर में महात्मा गांधी और नेल्सन मंडेला की प्रतिमाओं के पास एकत्र हुए.
उन्होंने “मैं नरसंहार का विरोध करता हूं, मैं फिलिस्तीन एक्शन का समर्थन करता हूं” जैसे संदेश लिखी तख्तियां अपने हाथों में थाम रखी थीं. सुरक्षा बलों और मीडिया कर्मियों ने इस विरोध प्रदर्शन को कड़ी निगरानी में लिया.
कड़ी सुरक्षा, पोस्टर और साइन किए गए जब्त
कुछ प्रदर्शनकारी ज़मीन पर लेटकर शांतिपूर्ण असहमति जताने की कोशिश कर रहे थे, जिन्हें बाद में पुलिसकर्मी मौके से उठाकर पास खड़ी वैन में ले गए. उनकी तलाशी के दौरान बैग्स से साइन बोर्ड और प्रचार सामग्री भी जब्त की गई.
इस दौरान न केवल लंदन, बल्कि मैनचेस्टर, कार्डिफ, और उत्तरी आयरलैंड के लंडनडेरी जैसे शहरों में भी फिलिस्तीन एक्शन के समर्थन में विरोध प्रदर्शन देखने को मिले. ब्रिटेन की सरकार ने फिलिस्तीन एक्शन को इस महीने की शुरुआत में आतंकवाद निरोधक कानून 2000 के तहत प्रतिबंधित संगठन घोषित किया है. इसके अंतर्गत, इस समूह से किसी भी रूप में जुड़ाव या उसका समर्थन अब कानूनी अपराध है, जिसकी सजा 14 साल तक की जेल हो सकती है.
रॉयल एयरफोर्स पर हमले के बाद बढ़ी सख्ती
ब्रिटिश सरकार की इस सख्ती के पीछे एक बड़ी वजह 20 जून की वह घटना है, जब फिलिस्तीन एक्शन के कार्यकर्ताओं ने ऑक्सफोर्डशायर के ब्रिज नॉर्टन स्थित रॉयल एयरफोर्स बेस में घुसकर दो विमानों को लाल रंग और हथौड़े से क्षतिग्रस्त कर दिया था.
यह हमला कथित तौर पर ब्रिटेन के इज़राइल को सैन्य समर्थन देने के विरोध में किया गया था. पुलिस के मुताबिक, इस घटना में लगभग 70 लाख पाउंड (94 लाख डॉलर) का नुकसान हुआ है. इस मामले में 22 से 35 साल की उम्र के चार आरोपियों पर आपराधिक क्षति पहुंचाने और राष्ट्रहित के विरुद्ध प्रतिबंधित स्थान में घुसपैठ की साजिश रचने का आरोप लगाया गया है. ये सभी आरोपी 18 जुलाई को सेंट्रल क्रिमिनल कोर्ट में पेश होंगे.
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