Iran President Pakistan Visit: ईरान के राष्ट्रपति की पाकिस्तान यात्रा, भारत को लेकर क्यों उठे सवाल?

Iran President Pakistan Visit: कुछ ही महीनों पहले तक ईरान और पाकिस्तान के रिश्तों में तल्खी का माहौल था. सीमा पार आतंकवाद को लेकर दोनों देशों ने एक-दूसरे के खिलाफ सैन्य कार्रवाई तक की. लेकिन अब तस्वीर पूरी तरह बदलती दिख रही है.

ईरान के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने अपना पहला आधिकारिक विदेश दौरा पाकिस्तान के लिए चुना है, जो इस संबंध में एक बड़ा संदेश माना जा रहा है. यह दौरा सिर्फ राजनीतिक संबंधों को गर्मजोशी देने की कोशिश नहीं है, बल्कि रणनीतिक लिहाज से कई अहम समीकरणों को भी छू रहा है—जिनमें भारत भी कहीं न कहीं चर्चा का हिस्सा बन रहा है.

पहला दौरा, खास इशारा

मसूद पेजेश्कियान के साथ ईरान का एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी पाकिस्तान पहुंचा है, जिसमें विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराक़ची समेत कई अहम अधिकारी शामिल हैं. यह यात्रा लाहौर और इस्लामाबाद तक सीमित रहेगी, जहां वे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, और सेना प्रमुख आसिम मुनीर से मुलाकात करेंगे. ऐसे दौरों में शिष्टाचार भी होता है, लेकिन इस बार इसमें रणनीतिक इरादे भी झलकते हैं.

व्यापार और सीमा सुरक्षा पर फोकस

इस यात्रा में जिन मुद्दों पर बातचीत होनी है, वे स्पष्ट संकेत देते हैं कि दोनों देश बीते टकरावों को पीछे छोड़कर अब साझा हितों पर आगे बढ़ना चाहते हैं. तीन अरब डॉलर तक के द्विपक्षीय व्यापार को बढ़ाने, ऊर्जा सहयोग को सशक्त बनाने, और ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन जैसे अटके प्रोजेक्ट्स को दोबारा गति देने पर बात हो रही है.

इसके साथ ही बलूचिस्तान सीमा पर आतंकवाद और ड्रग्स तस्करी जैसे ज्वलंत मुद्दों पर भी गंभीरता से चर्चा होनी तय है. यह ‘पॉलिटिकल रीसेट’ दोनों देशों के बीच भरोसे की बहाली की दिशा में एक ठोस कदम माना जा रहा है.

भारत क्यों है चर्चा में?

जब किसी देश का नया राष्ट्राध्यक्ष अपना पहला विदेश दौरा तय करता है, तो यह बात स्वाभाविक रूप से रणनीतिक संकेत देती है. यही कारण है कि जब मसूद पेजेश्कियान पाकिस्तान पहुंचे तो विशेषज्ञों ने भारत की ओर भी नजरें घुमा दीं. सवाल उठा—क्या भारत इस डिप्लोमेसी में हाशिए पर है?

इसका जवाब सीधा है, नहीं. भारत और ईरान के बीच कोई हालिया तनाव नहीं रहा है. इसके विपरीत, दोनों देशों के संबंध लंबे समय से स्थिर, गहरे और सहयोगात्मक रहे हैं. चाबहार पोर्ट से लेकर व्यापार, ऊर्जा और सामरिक मोर्चों तक भारत और ईरान एक-दूसरे के लिए भरोसेमंद साझेदार रहे हैं.

चाबहार और रणनीतिक समीकरण

चाबहार पोर्ट भारत और ईरान की रणनीतिक साझेदारी की रीढ़ है, जो पाकिस्तान को बायपास करते हुए अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक भारत की पहुंच बनाता है. ईरान की मौजूदा प्राथमिकता पाकिस्तान के साथ हालिया कटुता को दूर करना है, और यह दौरा उसी दिशा में उठाया गया एक कदम है. इसका मतलब यह कतई नहीं कि भारत को नजरअंदाज किया जा रहा है.

पिछले महीनों में जब भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर को लेकर तनाव चरम पर था, तब भी ईरान ने तटस्थ रहते हुए दोनों देशों को बातचीत का रास्ता अपनाने की सलाह दी थी.

आगे भारत की बारी?

इस बात की पूरी संभावना है कि राष्ट्रपति पेजेश्कियान आने वाले महीनों में भारत की यात्रा पर भी आएं. भारत ईरान के लिए एक आर्थिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक साझेदार है. इसलिए यह कहना जल्दबाज़ी होगी कि भारत इस डिप्लोमैटिक प्रायोरिटी से बाहर हो गया है.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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