China Supports India: अंतरराष्ट्रीय मंच पर आर्थिक तनाव एक बार फिर चरम पर है. दुनिया की दो बड़ी लोकतांत्रिक शक्तियां—अमेरिका और भारत—अब सीधे-सीधे व्यापारिक टकराव के मैदान में उतर आई हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 50 प्रतिशत टैरिफ लगाने का ऐलान कर एक नई बहस को जन्म दे दिया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है, जब वैश्विक राजनीति में ध्रुवीकरण तेज़ हो रहा है और चीन-रूस जैसे देश भारत के और करीब आते दिख रहे हैं.
भारत पर भारी टैरिफ लगाने के ऐलान के कुछ ही घंटे बाद, चीन के विदेश मंत्रालय ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के ज़रिये भारत के पक्ष में बयान जारी कर दिया. मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने स्पष्ट कहा—“हम टैरिफ के दुरुपयोग का हमेशा से विरोध करते आए हैं और भारत की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं होना चाहिए.” यह बयान ऐसे समय में आया है, जब व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा की तैयारियां तेज़ हैं और पश्चिमी देशों को यह डर सता रहा है कि एशिया की तीन बड़ी ताकतें भारत, चीन और रूस कहीं एक ही पाले में न आ जाएं.
ट्रंप का आरोप भारत, चीन के करीब
व्हाइट हाउस से प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप ने भारत पर यह आरोप लगाया कि वह रूस से तेल खरीद मामले में चीन की राह पर चल रहा है. ट्रंप ने कहा कि पहले भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया था, जो 7 अगस्त से लागू हुआ. अब अतिरिक्त 25 प्रतिशत शुल्क 27 अगस्त से लागू होगा, जिससे कुल टैरिफ दर 50 प्रतिशत हो जाएगी. यह न सिर्फ भारत के लिए, बल्कि वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला के लिए भी बड़ा झटका माना जा रहा है.
भारत की प्रतिक्रिया “यह दुर्भाग्यपूर्ण”
नई दिल्ली ने अमेरिकी फैसले को निराशाजनक करार दिया है. विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा—“भारत का आयात पूरी तरह बाजार परिस्थितियों पर आधारित है, जिसका उद्देश्य हमारे 1.4 अरब नागरिकों की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना है.” मंत्रालय ने यह भी स्पष्ट किया कि अमेरिका का यह कदम दोनों देशों के आर्थिक रिश्तों में अनावश्यक तनाव पैदा करेगा.
ट्रंप की ‘लिबरेशन डे’ नीति और भारत पर सबसे बड़ा वार
ट्रंप प्रशासन की कथित ‘लिबरेशन डे’ नीति के तहत अमेरिका अब तक लगभग 95 देशों पर टैरिफ लगा चुका है. हालांकि, भारत पर 50 प्रतिशत का शुल्क इस सूची में सबसे ऊंचा है. तुलना की जाए तो वियतनाम पर 20 प्रतिशत, जापान पर 15 प्रतिशत और दक्षिण कोरिया पर 15 प्रतिशत टैरिफ लगाया गया है. आंकड़े खुद यह बताते हैं कि ट्रंप सरकार की निगाह में भारत किस हद तक एक “चुनौती” बन चुका है.
आगे क्या?
यह टैरिफ वॉर सिर्फ व्यापार तक सीमित नहीं है. इसके पीछे राजनीतिक समीकरण, भू-राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और ऊर्जा सुरक्षा जैसे बड़े मुद्दे छिपे हैं. आने वाले महीनों में पुतिन की भारत यात्रा और चीन की सक्रियता इस समीकरण को और जटिल बना सकती है.
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