Israel Hamas Ceasefire: ट्रंप ने बजाया सीजफायर का डमरू और मान गए नेतन्याहू, क्या सच में ट्रंप के इशारों पर नाच रहे इजराइली PM?

Israel Hamas Ceasefire

Israel Hamas Ceasefire: ईरान और इजराइल के बीच जंग खत्म हो चुकी है. इसका सारा क्रेडिट अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जाता है. दरअसल दो देशों के बीच जारी युद्ध में ट्रंप की अहम भूमिका रही थी. ट्रंप ने कई देशों के बीच मध्यस्था करवाई है फिर वो चाहे पाकिस्तान और भारत का युद्ध हो या ईरान और इजराइल का. यूक्रेन और रूस का भी मसला हल करने में जुटे हुए हैं. हम आपसे सीजफायर को लेकर इसलिए बात कर रहे हैं क्योंकि इजराइल गाजा में शांति के लिए मान गया है. जाहिर है इसके पीछे भी अमेरिकी राष्ट्रपति का ही हाथ है.

कब होगी शांति और सीजफायर? (Israel Hamas Ceasefire)

गाजा में जल्द शांति होने वाली है. इसकी पुष्टि खुद अमेरिकी राष्ट्रपति ने की है. उन्होंने कहा कि गाजा में 60 दिनों के अंदर युद्ध विराम की शर्तों पर सहमति जता दी गई है. इतना ही नहीं उन्होंने हमास को भी चेतावनी दी कि यदि इस दौरान स्थिति को बिगाड़ने से पहले ही इस समझौते को स्वीकार कर लें. अब अगर आपको याद हो तो ट्रंप ने इसी तरह के तेवर ईरान और इजराइल की लड़ाई में भी देखने को मिले थे. उस समय इजराइल का पलड़ा ज्यादा भारी हुआ. ऐसा इसलिए क्योंकि ट्रंप ने खुले मंच से इजराइल को समर्थन किया. इतना ही नहीं युद्ध में साथ देते हुए ईरान पर हमला भी किया था. बहरहाल यदि अब हमास इस समझौते को स्वीकार कर लेता है जो कि दूसरा विकल्प शायद नहीं बचता तो 60 दिनोंं के अंदर सब शांत हो सकता है.

ट्रंप का बयान

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर राष्ट्रपति ट्रंप ने कहा कि उनके प्रतिनिधियों ने आज गाजा पर इजराइलियों के साथ लंंबी बातचीत की. यह बातचीत काफी प्रोडक्टिव थी. इसी के साथ उन्होंने 60 दिनों के बाद युद्ध विराम (Israel Hamas Ceasefire) को अंतिम रूप देने के लिए आवश्यक शर्तों पर सहमति व्यक्त की है. उन्होंने कहा कि इन 60 दिनों के अंदर हम इजराइल- हमास के बीच युद्ध को समाप्त करने के लिए काम करेंगे. सभी पक्षों से बातचीत की जाएगी. उन्होंने कहा कि कतर और मिस्र अंतिम प्रस्ताव पेश करेंगे. उन्होंने कहा कि मुझे उम्मीद है कि मिडिल ईस्ट यानी मध्य पूर्व की भलाई के लिए हमास इस डील को स्वीकार करेगा, क्योंकि इससे स्थिति बेहतर नहीं होगी. यह और भी बदतर होगी.

सीजफायर पर कैसे माने नेतन्याहू

इन सभी हालातोंं के बीच एक सवाल ये भी सामने आ रहा है कि आखि जो लड़ाई इतने समय से जारी थी आखिर उसपर नेतन्याहू मान कैसे गए? तो इसका सीधा सा अर्थ यह है कि युद्ध में ट्रंंप का इजराइल के साथ खड़े रहना और उसे खुला समर्थन देना है. एक वो समय था जब ट्रंप ने अपनी दोस्ती निभाई अब बारी इजराइल की है, दोस्त की कही बात को आखिर कैसे टाल सकते थे. इसलिए जो ट्रंप बोले उसे आखिर मान ही गए. हालांकि यह घोषणा ऐसे समय में हुई है जब खुद पीएम नेतन्याहू अगले महीने व्हाइट हाउस के दौरे पर जाने वाले हैं.

व्हाइट हाउस में मिलेंगे दो दोस्त

जानकारी के अनुसार सोमवार को ट्रंप और नेतन्याहू की व्हाइट हाउस में मुलाकात होने वाली है. इस बातचीत के लिए ट्रंप खुद मेजबानी की तैयारी कर रहे हैं. आपको बता दें कि ट्रंप लगातार इजरायली सरकार और हमास पर युद्ध विराम और बंधक समझौते के लिए मध्यस्थता करने और गाजा में युद्ध को समाप्त करने के लिए दबाव बढ़ा रहे हैं.

ईरान-इजराइल में भी रही अहम भूमिका

वहीं इजराइल और ईरान के बीच भी जारी युद्ध में ट्रंप की अहम भूमिका रही है. इससे पहले भी उनकी ओर से ऐलान किया गया था कि ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की समाप्ति हो चुकी है. अब देखने वाली बात होगी कि हमास क्या करता है, वह अमेरिका का प्रस्ताव मानता है या ठुकराता है?

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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