Pakistan: इस्लामाबाद से मिली जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान धीरे-धीरे अपने F-16 लड़ाकू विमानों को रिटायर करने की ओर बढ़ रहा है. कभी वायुसेना की रीढ़ माने जाने वाले ये अमेरिकी जेट अब तकनीकी खामियों और सख्त विदेशी शर्तों की वजह से पाकिस्तान के लिए बोझ बनते जा रहे हैं. स्थिति यहां तक पहुंच चुकी है कि पाकिस्तान की आर्मी और एयरफोर्स अब इन विमानों की जगह चीनी तकनीक पर भरोसा दिखाने लगी है.
पाक वायुसेना के F-16 फाइटर जेट्स पिछले कुछ समय से गंभीर तकनीकी परेशानियों से जूझ रहे हैं. खासकर इन विमानों में लगे प्रैट एंड व्हिटनी के F100 इंजन (F100-PW-200 और F100-PW-229 मॉडल) लगातार खराब हो रहे हैं. कई इंजन अब पूरी तरह से अनुपयोगी घोषित किए जा चुके हैं. पुराने हो चुके पुर्जों की मरम्मत कर पाना भी मुश्किल होता जा रहा है, और अमेरिका की ओर से स्पेयर पार्ट्स की सीमित आपूर्ति ने हालात को और बिगाड़ दिया है.
अमेरिका की सख्त शर्तें बन रहीं बड़ी रुकावट
F-16 से जुड़ी पाकिस्तान की मुश्किलें केवल तकनीकी नहीं, बल्कि कूटनीतिक भी हैं. अमेरिका इन विमानों के इस्तेमाल, मरम्मत और पुर्जों की आपूर्ति पर कड़ी निगरानी रखता है. इसके चलते पाकिस्तान को न तो आसानी से स्पेयर पार्ट्स मिल पा रहे हैं और न ही आवश्यक मरम्मत संभव हो पा रही है. कई जेट मरम्मत के इंतजार में खड़े हैं, और एयरफोर्स के बेड़े में उनकी उपयोगिता दिन-ब-दिन घट रही है.
अमेरिका के लिए भी बन सकता है यह बड़ा झटका
अगर पाकिस्तान अपने F-16 बेड़े से पूरी तरह किनारा कर लेता है, तो इसका प्रभाव वाशिंगटन तक पहुंचेगा. खासतौर पर डोनाल्ड ट्रंप जैसे नेताओं के लिए यह बड़ा झटका होगा, जो इन जेट्स को भारत और अन्य देशों को बेचना चाहते हैं. पाकिस्तान जैसे लंबे समय से F-16 उपयोगकर्ता देश का इससे दूरी बनाना अमेरिका की रक्षा कूटनीति पर सवाल खड़े कर सकता है और इस विमान की वैश्विक छवि को नुकसान पहुंचा सकता है.
चीन के साथ बढ़ता रक्षा सहयोग
F-16 की जगह अब पाकिस्तान चीन के साथ मिलकर विकसित किए गए JF-17 थंडर पर अपना भरोसा बढ़ा रहा है. यह हल्का लड़ाकू विमान न सिर्फ सस्ता है, बल्कि इसके रखरखाव और संचालन में भी कम जटिलताएं हैं. पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में इस विमान को अपने रक्षा ढांचे का अहम हिस्सा बना लिया है. JF-17 न केवल मौजूदा जरूरतों को पूरा करता है, बल्कि पाकिस्तान को अमेरिका की कड़ी शर्तों से भी राहत देता है. यही वजह है कि अब पाक वायुसेना इस चीनी तकनीक को अपनाने में तेजी दिखा रही है.
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