Brahmos Missile: भारत का रक्षा उद्योग, ब्रह्मोस मिसाइल ने वैश्विक बाजार में बनाई पहचान

Brahmos Missile

Brahmos Missile: भारत का रक्षा उद्योग तेजी से अपनी पहचान बना रहा है, और इसका प्रमुख कारण बन चुका है ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल. पाकिस्तान के खिलाफ ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इस मिसाइल का प्रभावी इस्तेमाल भारत की सैन्य ताकत को दुनिया के सामने प्रदर्शित करने वाला एक महत्वपूर्ण पल था. इस मिसाइल की सफलता ने न केवल भारत की सैन्य क्षमताओं को दिखाया, बल्कि वैश्विक रक्षा बाजार में भारत के हथियारों के लिए नए द्वार भी खोले. ब्रह्मोस मिसाइल के लिए एशिया से लेकर दक्षिण अमेरिका तक कई देशों ने रुचि दिखाई है, और इस बीच भारत ने फिलीपींस को पहला ग्राहक बना लिया है.

ब्रह्मोस को लेकर देशों की बढ़ती रुचि

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई भारतीय नेताओं ने यह पुष्टि की है कि ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. राजनाथ सिंह ने बताया कि रूस के सहयोग से विकसित यह सुपरसोनिक मिसाइल अब तक 14 से 15 देशों द्वारा खरीदी के लिए इच्छुक व्यक्त की जा चुकी है. इस मिसाइल के परिष्कृत रूप ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान यह साबित किया कि यह न केवल एक शक्तिशाली हथियार है, बल्कि इसके द्वारा किए गए हमले भी बेहद प्रभावी थे.

कौन से देश हैं ब्रह्मोस को खरीदने में रुचि रखते हैं?

ब्रह्मोस मिसाइल के लिए सबसे बड़ी रुचि प्रदर्शित करने वाले देशों में थाईलैंड, सिंगापुर, ब्रुनेई, मिस्र, सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, कतर, ओमान, ब्राज़ील, चिली, अर्जेंटीना और वेनेजुएला शामिल हैं. फिलीपींस 2022 में भारत के साथ 375 मिलियन अमेरिकी डॉलर का समझौता करने के बाद ब्रह्मोस मिसाइल का पहला विदेशी खरीदार बना. इसके अलावा, वियतनाम और इंडोनेशिया ने भी इस मिसाइल को खरीदने के लिए 700 मिलियन अमेरिकी डॉलर और 450 मिलियन अमेरिकी डॉलर के अनुबंधों पर बातचीत शुरू कर दी है.

भारत की रक्षा नीति में बदलाव और इसका प्रभाव

विदेश मामलों के विशेषज्ञ रोबिंदर सचदेव के अनुसार, ब्रह्मोस मिसाइल के विकास और उसके प्रयोग ने भारत की रक्षा नीति में एक नया मोड़ डाला है. उन्होंने कहा, “भारत की मेक इन इंडिया पहल और डीआरडीओ के साथ मिलकर रक्षा क्षेत्र में निजी कंपनियों की भागीदारी से भारत अब विश्वसनीय और युद्धक्षेत्र में सिद्ध हथियारों का निर्माता बन चुका है.” ऑपरेशन सिंदूर में ब्रह्मोस की सफलता ने भारत की सैन्य क्षमताओं को वैश्विक स्तर पर प्रमाणित किया है, और इसने अंतर्राष्ट्रीय बाजार में ब्रह्मोस को एक बेहतरीन विकल्प के रूप में प्रस्तुत किया है.

भारत का रक्षा निर्यात: लगातार बढ़ती मांग

भारत के रक्षा उद्योग ने हाल ही में एक नया कदम उठाया है और मई 2025 में उत्तर प्रदेश में एक ब्रह्मोस मिसाइल निर्माण संयंत्र की स्थापना की है. यह संयंत्र हर साल 100 मिसाइलों का उत्पादन करेगा, जिससे ब्रह्मोस की आपूर्ति में वृद्धि होगी और भारत के रक्षा निर्यात को एक और बढ़ावा मिलेगा. इसके अलावा, भारत का कुल रक्षा निर्यात वित्तीय वर्ष 2024-25 में 12 प्रतिशत बढ़कर 23,622 करोड़ रुपये (लगभग 2.76 अरब डॉलर) तक पहुंच गया है.

भारत का बढ़ता वैश्विक स्थान

भारत का रक्षा उद्योग अब वैश्विक मंच पर तेजी से उभर रहा है. देश ने हाल ही में विभिन्न प्रकार के गोला-बारूद, हथियार, उप-प्रणालियां और कलपुर्जे 80 से अधिक देशों को निर्यात किए हैं. यह भारत के बढ़ते सामरिक महत्व और विश्वसनीय रक्षा आपूर्तिकर्ता के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करता है.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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