F-15EX: जापान के कडेना एयरबेस पर हाल ही में अमेरिका के सबसे उन्नत फाइटर जेट F-15EX की लैंडिंग हुई है. यह कदम ऐसे वक्त में उठाया गया है जब चीन की ओर से ताइवान के खिलाफ सैन्य गतिविधियों में तेज़ी देखी जा रही है. विशेषज्ञों का मानना है कि यह तैनाती केवल एक सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि अमेरिका की ओर से चीन को दिया गया एक स्पष्ट संदेश है.
ताइवान पर खतरे की आहट, अमेरिका सतर्क
बीते महीनों में चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी ने ताइवान के चारों ओर सैन्य घेराबंदी, युद्धाभ्यास और ड्रोन निगरानी जैसे कई कदम उठाए हैं. ताइवान सरकार कई बार सार्वजनिक रूप से यह चिंता जता चुकी है कि चीन एक सीमित या पूर्ण सैन्य हमला करने की तैयारी में है. ऐसे में अमेरिकी वायुसेना की गतिविधियों ने एशिया-प्रशांत क्षेत्र में एक नई सुरक्षा रणनीति की नींव रख दी है.
कडेना एयरबेस: चीन के करीब, अमेरिकी रणनीति का केंद्र
जापान के ओकिनावा द्वीप पर स्थित कडेना एयरबेस, अमेरिका की Indo-Pacific नीति में एक अहम भूमिका निभाता है. यह एयरबेस ताइवान के सबसे पास स्थित अमेरिकी वायु ठिकानों में से एक है, जिससे किसी भी आकस्मिक स्थिति में तुरंत प्रतिक्रिया दी जा सकती है. इसकी भौगोलिक स्थिति इसे रणनीतिक निगरानी और हमलावर क्षमता दोनों में सक्षम बनाती है.
F-15EX: पुराने विमानों की जगह लेगा आधुनिक ‘ब्रह्मास्त्र’
अब तक कडेना में अमेरिका के F-15C/D फाइटर जेट्स तैनात थे, लेकिन इन्हें हटाकर 36 F-15EX लड़ाकू विमानों की स्थायी तैनाती की योजना है. ये विमान हवा से हवा में मार करने वाली बड़ी संख्या में मिसाइलें, अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम और नई पीढ़ी की हथियार प्रणालियों से लैस हैं. अभी यह फाइटर जेट्स ट्रेनिंग मिशन के तहत जापान पहुंचे हैं. लेकिन अमेरिकी वायुसेना का इरादा है कि 2026 तक इन्हें स्थायी रूप से तैनात कर दिया जाए.
फ्लोरिडा से उड़ान भरकर पहुंचे ये लड़ाकू विमान
स्थानीय जापानी मीडिया और विमान प्रेमियों द्वारा जारी की गई तस्वीरों से पता चला है कि शनिवार को कडेना में 2 F-15EX, 1 F-15E और 1 F-16C विमान पहुंचे. ये सभी फ्लोरिडा स्थित एग्लिन एयरफोर्स बेस से रवाना किए गए थे.
अमेरिकी कमांडर का स्पष्ट संदेश
18वीं विंग के कमांडर ब्रिगेडियर जनरल निकोलस इवांस ने बयान में कहा “हम यहां क्षेत्रीय स्थिरता बनाए रखने, मिशन की निरंतरता सुनिश्चित करने और सहयोगी देशों को आश्वस्त करने के लिए आए हैं. अगर आवश्यकता पड़ी, तो अमेरिका न केवल ताइवान बल्कि जापान की भी रक्षा करेगा.”
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