India Hypersonic Missiles: भारत के मुकाबले नहीं पाकिस्तान! तैयार हो रही ये पांच हाइपरसोनिक मिसाइलें

India Hypersonic Missiles

India Hypersonic Missiles: ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान ने भले ही मीडिया में अपनी ‘सफलता’ का ढोल पीटा हो, लेकिन हकीकत यह है कि भारत अब युद्ध की भाषा और तकनीक. दोनों में ही कहीं आगे निकल चुका है. भारत अब सिर्फ पारंपरिक हथियारों पर निर्भर नहीं है, बल्कि हाईटेक और हाइपरसोनिक सिस्टम के साथ ऐसे हथियारों पर काम कर रहा है, जो आने वाले दशकों की जंगों का चेहरा बदल सकते हैं. इन नई प्रणालियों की सबसे बड़ी खासियत यह है कि ये न केवल रडार की पकड़ से बाहर हैं, बल्कि दुश्मन के हमले का जवाब देने के बजाय पहले ही बढ़त लेने की क्षमता रखती हैं.

HSTDV: हवा से ऑक्सीजन, ज़मीन पर आत्मनिर्भरता

हाइपरसोनिक टेक्नोलॉजी डेमॉन्स्ट्रेटर व्हीकल (HSTDV), भारत के लिए सिर्फ एक तकनीकी प्रयोग नहीं है, यह आत्मनिर्भर भारत की उड़ान का प्रतीक है. इसे DRDO द्वारा तैयार किया गया है, और इसकी सबसे बड़ी उपलब्धि है इसका स्क्रमजेट इंजन जो हवा से ऑक्सीजन खींचकर उड़ान भरता है. 2020 में जब इसने पहली सफल उड़ान भरी, तब यह Mach 6 (आवाज़ से छह गुना तेज) की रफ्तार से करीब 20 सेकंड तक चला. अब इसका मकसद है इसे मिसाइल टेक्नोलॉजी में बदलना. DRDO की योजना है कि 2026 तक देश की पहली हाइपरसोनिक मिसाइल तैनात हो जाए.

BrahMos-II: पहले से कहीं ज़्यादा तेज़ और घातक

ब्रह्मोस मिसाइल ने भारत की सुपरसोनिक ताकत का लोहा मनवाया था, और अब इसका हाइपरसोनिक संस्करण BrahMos-II उसी ताकत को कई गुना बढ़ाने की दिशा में है. यह मिसाइल Mach 7 की गति से लक्ष्य भेद सकेगी, और इसे तीन प्लेटफॉर्म्स—ज़मीन, समंदर और आसमान से दागा जा सकेगा. इस परियोजना पर भारत की DRDO और रूस की NPOM मिलकर काम कर रही हैं. पहला परीक्षण 2026 तक किया जा सकता है.

SFDR: एयर-टू-एयर लड़ाई में भारत की नई चाल

Solid Fuel Ducted Ramjet (SFDR) तकनीक को भारत के एयर-टू-एयर कॉम्बैट को नया आयाम देने के लिए डिजाइन किया गया है. यह ठोस ईंधन पर चलने वाली प्रणाली है जो Mach 6 तक की रफ्तार पकड़ सकती है. इस इंजन को Astra Mk-III जैसी अगली पीढ़ी की लंबी दूरी की मिसाइलों में इस्तेमाल किया जाएगा. इसके कई सफल परीक्षण हो चुके हैं और अब यह अंतिम स्टेज, यानी weaponisation की ओर बढ़ चुका है. 2025–26 तक इसे भारतीय वायुसेना के बेड़े में देखा जा सकता है.

Shaurya: भारत की शांत लेकिन ताकतवर मिसाइल

शौर्य मिसाइल पहले से ही भारतीय सेना का हिस्सा है, लेकिन इसका हाइपरसोनिक संस्करण और भी अधिक एडवांस हो रहा है. इसकी खासियत है कि यह कैनिस्टर से लॉन्च होकर वायुमंडल के ऊपरी स्तर में जाकर ग्लाइड करती है, जिससे दुश्मन को इसकी दिशा का पता लगाना मुश्किल हो जाता है. यह Mach 7.5 तक की रफ्तार से उड़ सकती है. आने वाले वर्षों में जब इसका उन्नत वर्जन पूरी तरह ऑपरेशनल होगा, तो यह भारत की सामरिक शक्ति को कई गुना बढ़ा देगा.

HGV: सबसे गुप्त, सबसे मारक

भारत का Hypersonic Glide Vehicle (HGV) प्रोजेक्ट फिलहाल सबसे कम चर्चित, लेकिन सबसे रणनीतिक रूप से अहम माना जा रहा है. इसे बैलिस्टिक मिसाइल के ज़रिए लॉन्च किया जाएगा और यह Mach 10+ की गति से वातावरण में ग्लाइड करेगा. अगर यह प्रणाली पूरी तरह विकसित होती है, तो भारत सीधे अमेरिका और चीन जैसी महाशक्तियों की कतार में खड़ा हो जाएगा. इसका पहला weaponised संस्करण संभवतः 2028 से 2030 के बीच सामने आएगा.

बजट की बात: आत्मनिर्भरता की कीमत

भारत सरकार DRDO को हर साल ₹23,000 से ₹25,000 करोड़ का बजट देती है. इसमें से करीब ₹3,000 से ₹5,000 करोड़ हाइपरसोनिक और मिसाइल अनुसंधान पर खर्च किया जाता है. यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरणों का आयातक नहीं, बल्कि विश्वसनीय तकनीकी नवाचारक के रूप में भी उभर रहा है.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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