Vision Loss: आजकल के दिनों में यह पाया जा रहा है कि हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामले बहुत ही तेजी से देश में बढ़ रहे हैं जो आंखों के लिए खतरनाक हो सकता है। बलड शुगर बढ़ने के कारण दृष्टि हानि( Vision Loss) का खतरा बढ़ रहा है। डॉक्टर की ये सलाह है कि ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियंत्रित रखना जरूरी है ।
जैसे हाई ब्लड प्रेशर और डायबिटीज के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं यह एक ऐसी स्वास्थ्य स्थिति बनती जा रही है ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को कंट्रोल करना बेहद जरूरी है क्योंकि इसका बुरा असर पड़ता है इसलिए आमतौर पर हम लोग दवा का इस्तमाल करते हैं।
डॉक्टर के मुताबिक दृष्टि हानि एक बड़ी दिक्कत साबित हो सकती है इस बारे में नई दिल्ली स्थित आई7 हॉस्पिटल एवं विजन आई क्लिनिक के वरिष्ठ डॉक्टर पवन गुप्ता बताते हैं कि शुगर में थोडा सा अभी बदलाव रेटिना पर असर कर सकता है।
ब्लड शुगर का आंखों पर प्रभाव(Vision Loss)
डॉक्टर इस बात पर ज़ोर देते हैं कि ब्लड शुगर का बढ़ा हुआ स्तर आँखों के स्वास्थ्य के लिए गंभीर ख़तरा पैदा करता है। हाय ब्लड शुगर के कारण आँखों की छोटी रक्त वाहिकाओं( small blood vessels) से तरल पदार्थ निकल सकता है, जिससे मैक्युलर एडिमा नामक सूजन हो सकती है, जिसके कारण आंखे कमज़ोर हो जाती है। इसके अलावा, इससे इन वाहिकाओं( vessels) में रुकावटें भी आ सकती हैं, जिससे अपर्याप्त रक्त आपूर्ति वाले क्षेत्र( insufficeint blood vessels) बन सकते हैं जिन्हें इस्केमिया कहा जाता है। इसके नतीजे में, आँखें अक्सर नई, असामान्य रक्त वाहिकाओं का निर्माण करने की कोशिश करती हैं। हालाँकि, इन नाज़ुक वाहिकाओं में ब्लीडिंग होने का खतरा होता है, जिससे आंखे और भी ख़तरे में पड़ सकती है और अगर इलाज न किया जाए तो अंधापन भी हो सकता है।
ब्लड प्रेशर और आंखों का कनेक्शन(Vision Loss)
ब्लड प्रेशर आँखों के स्वास्थ्य को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्योंकि यह रेटिना में स्थित नाज़ुक रक्त वाहिकाओं की स्थिति को सीधे प्रभावित करता है। अपनी पतली और नाज़ुक बनावट के कारण, ये वाहिकाएँ असामान्य ब्लड प्रेशर के स्तर से डैमेज हो सकती हैं। जब ब्लड प्रेशर बहुत अधिक हो जाता है, तो यह रेटिना की नसों या धमनियों में रुकावट पैदा कर सकता है, जिससे ऑक्लूज़न( occlusion)जैसी गंभीर परेशानी हो सकती हैं। ऐसी रुकावटें ब्लड फ्लो को रोक सकती हैं, जिससे रेटिना को आवश्यक पोषक तत्व और ऑक्सीजन की कमी हो सकती है, जिसके परिणामस्वरूप अगर इलाज न किया जाए तो पार्शियल या पूरी दृष्टि हानि हो सकती है। सौभाग्य से, नसों की रुकावटों को अक्सर लेज़र थेरेपी या इंट्राओकुलर इंजेक्शन जैसे उपचारों से ठीक किया जा सकता है, जो रक्त संचार को सही करने में मदद कर सकते हैं।
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