History of Gulab Jamun: न गुलाब है न जामुन फिर क्यों नाम पड़ा गुलाब जामुन? जानें रहस्य

History of Gulab Jamun: न गुलाब है न जामुन फिर क्यों नाम पढ़ा गुलाब जामुन? जानें रहस्यगुलाब जामुन एक ऐसी लोकप्रिय मिठाई जिसका नाम सुनकर ही बहुत लोगों के मूंह में पानी आने लगता है। त्योहार हो, शादी-ब्याह हो या घर में कोई खुशी का मौका, यह मिठाई हर उत्सव को मीठा बना देती है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इसका नाम गुलाब जामुन क्यों पड़ा, जबकि इसमें न तो गुलाब होता है और न ही जामुन?

नाम का रहस्य?

गुलाब जामुन का नाम फारसी भाषा से आया है। फारसी में गुल का मतलब होता है फूल और आब का मतलब होता है पानी। यानी “गुलाब” का अर्थ हुआ गुलाब जल या गुलाब की खुशबू वाला पानी। क्योंकि इस मिठाई को मीठी चाशनी में भिगोया जाता है, इसलिए इसे “गुलाब” से जोड़ा गया। वहीं, तली हुई खोये की गोलियां रंग और आकार में जामुन फल जैसी दिखती हैं, इसलिए इसमें “जामुन” जुड़ गया। इस तरह बना नाम—गुलाब जामुन।

भारत तक कैसे पहुंचा?

इतिहासकार मानते हैं कि इस मिठाई की शुरुआत मध्य एशिया और ईरान से हुई। बाद में यह तुर्की और मुगलों के जरिए भारत आई। कहा जाता है कि मुगल सम्राट शाहजहां के दरबार में एक रसोइये ने पहली बार गुलाब जामुन बनाया। शाहजहां को यह इतना पसंद आया कि धीरे-धीरे यह मिठाई पूरे भारत में प्रसिद्ध हो गई।

कोलकाता की कहानी

गुलाब जामुन से जुड़ी एक दिलचस्प कहानी कोलकाता की भी है। 19वीं सदी में प्रसिद्ध हलवाई भीम चंद्र नाग ने गवर्नर जनरल लॉर्ड कैनिंग की पत्नी लेडी कैनिंग के लिए एक नई मिठाई बनाई। यह सिलेंडर आकार की मिठाई सबको इतनी भा गई कि इसे लेडी कैनिंग के नाम पर ‘लेदिकेनी’ कहा जाने लगा। आज भी यह बंगाल की लोकप्रिय मिठाई है।

दुनिया भर से मेल

गुलाब जामुन जैसी मिठाइयां और भी देशों में मिलती हैं। तुर्की की तुलुम्बा, फारसी की बमीह और अरब देशों की लुकमात-अल-कादी बनावट और स्वाद में इससे काफी मिलती-जुलती हैं। फर्क सिर्फ इतना है कि वहां इन्हें गुलाब जल या शहद की चाशनी में डुबोया जाता है, जबकि भारत में चीनी की चाशनी का इस्तेमाल होता है।

अलग-अलग नाम

भारत में भी गुलाब जामुन के अलग नाम हैं। पश्चिम बंगाल में इसे पंटुआ या कालो जैम कहा जाता है। मध्य प्रदेश के जबलपुर के बड़े आकार के गुलाब जामुन भी काफी मशहूर हैं। हर जगह इसका स्वाद और परंपरा थोड़ी अलग दिखाई देती है।

गुलाब जामुन सिर्फ मिठाई नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति और मेहमाननवाजी का हिस्सा बन चुका है। इसकी नर्म बनावट और मीठा स्वाद हर उम्र के लोगों को पसंद आता है। यही वजह है कि यह मिठाई आज भी भारत की सबसे पसंदीदा डिश में गिनी जाती है

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Author

  • Shivi Sharma

    पत्रकारिता की तृतीय वर्ष की छात्रा, जिसे वैश्विक मुद्दों पर लिखना पसंद है। जटिल विषयों का विश्लेषण कर उन्हें सरल और स्पष्ट शब्दों में प्रस्तुत करने में माहिर।"

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