Z-10ME-02: हेलीकॉप्टरों की एंट्री, लेकिन असली सवाल है – क्या ये भारत के सामने टिक पाएंगे?

Z-10ME-02: पाकिस्तान ने अपनी सैन्य ताकत में इजाफा करते हुए चीन से मिले Z-10ME-02 अटैक हेलीकॉप्टरों को आधिकारिक रूप से अपनी सेना में शामिल कर लिया है. 2 अगस्त को मुल्तान स्थित आर्मी एविएशन बेस पर आयोजित एक विशेष समारोह में इन अत्याधुनिक हेलीकॉप्टरों का औपचारिक स्वागत किया गया. खुद पाकिस्तान के फील्ड मार्शल जनरल सैयद आसिम मुनीर ने इस कार्यक्रम की अध्यक्षता की और लाइव डेमो भी देखा.

यह डिलीवरी सिर्फ एक सैन्य लेन-देन नहीं, बल्कि पाकिस्तान की रणनीतिक दिशा में बड़ा बदलाव दर्शाती है. दशकों पुराने बेल AH-1F/S कोबरा हेलीकॉप्टरों को अब इतिहास बना दिया गया है और उनकी जगह चीन के Z-10ME-02 ने ली है. लेकिन क्या यह कदम पाकिस्तान की सैन्य क्षमताओं में वाकई कोई बड़ा बदलाव ला पाएगा, या फिर यह एक राजनीतिक मजबूरी का नतीजा है?

क्या मजबूरी थी पाकिस्तान की?

पाकिस्तान ने 2021 में Z-10 हेलीकॉप्टरों को ट्रायल के लिए मंगवाया था, लेकिन परफॉर्मेंस से नाखुश होकर उन्हें लौटा दिया गया था. इसके बावजूद अब उसी प्लेटफॉर्म के अपग्रेडेड वर्जन Z-10ME-02 को स्वीकार कर लेना बताता है कि विकल्पों की कमी ने पाकिस्तान को चीन की गोद में बैठने पर मजबूर कर दिया. अमेरिका से AH-1Z Viper और तुर्की से T129 ATAK जैसे हेलीकॉप्टर खरीदने की पाकिस्तान की कोशिशें अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से अधर में लटक गईं. ऐसे में बीजिंग ही एकमात्र बचा था जो बिना शर्त सैन्य हार्डवेयर देने को तैयार था.

Z-10ME-02 की खूबियां कितनी दमदार?

Z-10ME-02 एक ट्विन-इंजन अटैक हेलीकॉप्टर है जिसे चीन की चांगहे एयरक्राफ्ट इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (CAIC) ने तैयार किया है. यह हेलीकॉप्टर 7.2 टन वजनी है और करीब 1500 किलोग्राम का पेलोड ले जाने की क्षमता रखता है. इसमें शामिल हैं: एंटी-टैंक गाइडेड मिसाइलें, लेजर-गाइडेड रॉकेट, एयर-टू-एयर मिसाइलें, मिनिएचर क्रूज मिसाइल (CM-501X), नॉन-लाइन ऑफ साइट (NLoS) हथियार प्रणाली. तकनीकी सुरक्षा के लिहाज से यह हेलीकॉप्टर इंजन इनटेक फिल्ट्रेशन सिस्टम, सिरेमिक आर्मर, इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग और मिसाइल अलर्ट सिस्टम जैसी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस है. यह सब मिलकर इसे दुश्मन की एयर डिफेंस प्रणाली को चकमा देकर टारगेट को खत्म करने में सक्षम बनाते हैं.

भारत की तैयारी कितनी मजबूत?

भारत के पास पहले से ही दो प्रमुख अटैक हेलीकॉप्टर मौजूद हैं—स्वदेशी LCH प्रचंड और अमेरिकी AH-64E अपाचे. LCH प्रचंड विशेष रूप से ऊंचाई वाले इलाकों जैसे कारगिल के लिए डिज़ाइन किया गया है. हल्के वजन और बेहतरीन maneuverability के कारण यह दुर्गम क्षेत्रों में भी आसानी से ऑपरेट कर सकता है. वहीं अपाचे AH-64E को दुनिया का सबसे खतरनाक अटैक हेलीकॉप्टर माना जाता है. 10.4 टन वजनी यह मशीन 2500 किलोग्राम तक हथियार ले जा सकती है. इसकी ताकत है—हेलफायर मिसाइल, 30mm चेन गन, और लॉन्गबो रडार. Z-10ME-02 इन पैरामीटरों पर अपाचे के करीब भी नहीं पहुंचता—चाहे वह सेंसर टेक्नोलॉजी हो, फायरिंग रेंज, पेलोड क्षमता या फिर मिशन की विश्वसनीयता.

क्या इस कदम से भारत-पाक सामरिक संतुलन बदलेगा?

Z-10ME-02 की तैनाती निश्चित तौर पर पाकिस्तान की सेना की ताकत को बढ़ाती है, लेकिन यह भारत के रणनीतिक ऊंचाई तक नहीं पहुंचता. भारत ने न सिर्फ तकनीकी रूप से उन्नत हेलीकॉप्टर अपनाए हैं, बल्कि आत्मनिर्भरता की दिशा में भी बड़ा कदम उठाया है. HAL द्वारा विकसित LCH इसका उदाहरण है. इसके अलावा, भारत के हेलीकॉप्टरों का ऑपरेशनल ट्रैक रिकॉर्ड भी काफी मजबूत है. वे ऊंचाई वाले मोर्चों पर परीक्षण से गुजर चुके हैं और वास्तविक युद्ध स्थितियों में प्रभावी रहे हैं.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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