Russia Dead Hand: अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को रूस से आई एक कड़ी चेतावनी ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हलचल मचा दी है. रूस के पूर्व राष्ट्रपति और सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने ट्रंप को खुले शब्दों में कहा “डेड हैंड से डरिए!” यह कोई सामान्य चेतावनी नहीं, बल्कि उस काले सैन्य रहस्य की याद दिलाना है, जो दशकों से परमाणु युद्ध के संभावित अंत का प्रतीक माना जाता है.
‘डेड हैंड’, जिसे रूस में ‘पेरिमीटर सिस्टम’ के नाम से जाना जाता है, एक स्वचालित परमाणु प्रतिउत्तर प्रणाली है. यह तब काम में आती है जब रूस पर इतने भीषण स्तर का परमाणु हमला हो जाए कि वहां की सैन्य और राजनीतिक नेतृत्व पूरी तरह खत्म हो जाए. उस स्थिति में भी यह सिस्टम बिना किसी इंसानी आदेश के दुश्मन देशों पर परमाणु मिसाइलों की बौछार कर सकता है. सरल शब्दों में कहें तो यह वो तकनीक है जो मरते हुए भी दुश्मन को खाक कर देती है.
कब और क्यों बनाई गई यह प्रणाली?
1980 के दशक में जब शीत युद्ध अपने चरम पर था, तब सोवियत संघ को आशंका थी कि अमेरिका कभी भी अचानक हमला कर सकता है. अमेरिका के पास इतनी क्षमता थी कि वह रूसी नेतृत्व को पलभर में खत्म कर सकता था. इसी डर ने ‘डेड हैंड’ जैसी प्रणाली की नींव रखी. मकसद था अगर रूस खत्म हो भी जाए, तो बदला ज़रूर लिया जाए.
कैसे काम करता है ‘डेड हैंड’?
यह प्रणाली तकनीकी रूप से बेहद जटिल है. इसमें कई तरह के सेंसर और मॉनिटरिंग सिस्टम जुड़े होते हैं, जो इन संकेतों पर नजर रखते हैं. भूकंपीय झटके या धमाका, परमाणु विकिरण का स्तर, कम्युनिकेशन चैनल्स का टूट जाना. अगर ये संकेत यह पुष्टि करें कि रूस पर बड़ा हमला हुआ है और सरकार या सेना की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आ रही, तो यह सिस्टम स्वतः सक्रिय होकर बचे हुए परमाणु हथियार लॉन्च कर देता है. यह मिसाइलें पहले से तय लक्ष्यों — जैसे अमेरिका और उसके सहयोगी देशों पर दाग दी जाती हैं.
क्या यह आज भी सक्रिय है?
रूस ने कभी सार्वजनिक रूप से इसकी मौजूदगी स्वीकार नहीं की है, लेकिन दुनिया भर के सैन्य विश्लेषक मानते हैं कि ‘डेड हैंड’ आज भी न केवल कार्यरत है, बल्कि यह आधुनिक तकनीक जैसे AI और सेटेलाइट डेटा से भी लैस हो चुका है. मेदवेदेव का ट्रंप को दिया गया बयान भी इसी ओर इशारा करता है कि यह प्रणाली आज भी रूस के पास एक ‘अंतिम जवाब’ के रूप में मौजूद है.
ट्रंप को क्यों दी गई चेतावनी?
डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक इंटरव्यू में रूस के परमाणु नीति को लेकर टिप्पणी की थी, जिसे मॉस्को ने गंभीरता से लिया. जवाब में मेदवेदेव ने कहा अगर अमेरिका ने कोई गंभीर दुस्साहस किया, तो ‘डेड हैंड’ अपना काम कर सकता है. यह सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मनोवैज्ञानिक दबाव है, जो अमेरिका को याद दिलाता है कि रूस को छेड़ना विनाश को न्योता देना है.
क्यों है ‘डेड हैंड’ पूरी दुनिया के लिए खतरा?
इस प्रणाली का सबसे बड़ा डर यह है कि इसमें इंसानी हस्तक्षेप लगभग नगण्य है. अगर गलती से कोई फॉल्स अलार्म या तकनीकी गड़बड़ी हो जाए और यह सिस्टम सक्रिय हो जाए, तो पूरी दुनिया परमाणु युद्ध की आग में झुलस सकती है. दुनिया भर के शांति संगठनों और रणनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, ‘डेड हैंड’ उस सीमा का प्रतीक है, जहां विज्ञान और युद्ध की भावना मिलकर मानव सभ्यता के अंत की रूपरेखा तैयार करते हैं.
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