China and Egypt HQ-9B Deal: पाकिस्तान वाली गलती कर बैठे अली सिसी, चीन के फिस्स HQ-9B पर दिखाया भरोसा

China and Egypt HQ-9B Deal

China and Egypt HQ-9B Deal: वैश्विक सुरक्षा परिदृश्य तेजी से बदल रहा है. आधुनिक युद्ध अब सिर्फ ज़मीनी नहीं, बल्कि आकाशीय सीमाओं में भी लड़ा जा रहा है. ऐसे में एयर डिफेंस सिस्टम किसी भी देश की सैन्य रणनीति का अभिन्न हिस्सा बन चुका है. इसी कड़ी में मिस्र ने चीन निर्मित HQ-9B एयर डिफेंस सिस्टम (China and Egypt HQ-9B Deal) को अपनी सेना में शामिल कर लिया है.

मिस्र की यह पहल रक्षा नीति में एक बड़ा मोड़ मानी जा रही है, क्योंकि अब तक वह मुख्य रूप से अमेरिका और यूरोपीय देशों के हथियारों पर निर्भर था. लेकिन पश्चिमी देशों से सैन्य सप्लाई को लेकर बनी अनिश्चितताओं ने राष्ट्रपति अब्देल फत्तह अल-सिसी को चीन की ओर रुख करने पर मजबूर कर दिया.

HQ-9B: तकनीकी खूबियां और दावे (China and Egypt HQ-9B Deal)

HQ-9B प्रणाली को चाइना प्रिसिजन मशीनरी इम्पोर्ट एंड एक्सपोर्ट कॉरपोरेशन (CPMIEC) द्वारा विकसित किया गया है, जो CASIC के अंतर्गत काम करती है. इसकी 125 किमी तक की मारक क्षमता और आधुनिक रडार प्रणाली इसे लंबी दूरी तक हवाई हमलों से बचाव करने में सक्षम बनाती है. यह प्रणाली रूसी S-300 सिस्टम की तकनीक पर आधारित है, और चीन इसे S-400 और अमेरिकी PAC-3 के समकक्ष मानता है. मिस्र की सेना के वरिष्ठ अधिकारी मेजर जनरल समीर फराज ने भी इसे अपनी सेना के लिए एक रणनीतिक उपलब्धि करार दिया है.

China and Egypt HQ-9B Deal
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पाकिस्तान का अनुभव: क्या मिस्र दोहराएगा वही गलती?

जहां मिस्र ने इस सिस्टम पर भरोसा जताया है, वहीं पाकिस्तान का अनुभव इस पर प्रश्नचिह्न लगाता है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, भारत ने पाकिस्तान में इसी सिस्टम की तैनाती के बावजूद सफल हवाई हमले किए थे. भारत की मिसाइलें HQ-9 की पकड़ से बच निकलीं और पाकिस्तानी एयरबेस को भारी नुकसान हुआ. इतना ही नहीं, पाकिस्तान में HQ-9 सिस्टम के परीक्षणों के दौरान भी तकनीकी खामियां सामने आई थीं. इससे यह सवाल उठता है कि क्या मिस्र ने जिस सिस्टम को अपनी हवाई ढाल माना है, वह वास्तव में प्रभावी साबित होगा?

सवाल उठते हैं, रणनीति या मजबूरी?

क्या मिस्र ने पश्चिमी विकल्पों के न मिलने पर ही HQ-9B को चुना है? क्या यह चीन की तकनीकी क्षमता पर भरोसा है या एक राजनीतिक गठजोड़ का हिस्सा? वर्तमान में चीन और मिस्र के बीच बढ़ता सहयोग कई क्षेत्रों में देखा जा रहा है, और यह डील उसी साझेदारी की एक मिसाल हो सकती है. लेकिन अगर यह सिस्टम भी पाकिस्तान जैसे अनुभव दोहराता है, तो मिस्र को अपनी हवाई सुरक्षा को लेकर फिर से रणनीति बनानी पड़ सकती है.

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Author

  • Sarthak Arora

    सार्थक अरोड़ा एक युवा और विचारशील लेखक हैं, जो अंतरराष्ट्रीय राजनीति, कूटनीति, और सामरिक रणनीति जैसे विषयों पर गहरी समझ और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। The Ink Post Hindi में वह उन खबरों को आवाज़ देते हैं, जो केवल सतह पर नहीं, गहराई में जाकर समझने की माँग करती हैं।

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