Iran Israel War: इजराइल और ईरान के बीच जारी युद्ध को दुनिया ने देखा. यह युद्ध चला तो महज 12 दिनों के लिए ही, लेकिन एक समय पर इस युद्ध ने सभी को इसी असमंजस में डाल दिया था कि आखिर ये वर्ल्ड वॉर 3 की शुरुआत होने वाली है. इसी के बाद इस युद्ध में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप की एंट्री होती है. जैसे ही ट्रंप इस लड़ाई में घुसे उन्होंने सीजफायर करवाया. यह कहना गलत नहीं होगा कि इजराइल का बदला अमेरिका ने लिया था. पहले हमला हुआ फिर सीजफायर पर समझौता.
(Iran Israel War )युद्ध की इस आग में कई लोग झुलसे. कई आम आदमियों की जान गई. लेकिन इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने ट्रंप से मद मांगते हुए युद्ध को समाप्त करने की कोशिश की. आपको बता दें कि जब इस युद्ध की शुरुआत हुई थी तब इजराइल का ऐसा मानना था कि वो इससे आसानी से बच निकल पाएगा. लेकिन ऐसा हो नहीं पाया. क्योंकि जो हमला इजराइल की ओर से किया गया उसका सामने से भी मुंह तोड़ जवाब मिला ही, तो इस मामले में इजराइल कही न कही फेल हुआ.
ट्रंप की शरण पहुंचे इजराइली पीएम (Iran Israel War)
अब मामला शांत हुआ है. दोनों ओर से भले ही तोप-गोले, मिसाइल या फिर कोई हथियार के जरिेए हमला किया जा रहा है. बल्कि अब यह युद्ध जुबां तक आ पहुंचा है. मसलन दोनों ओर से जुबानी जंग छिड़ चुकी है. ईरान बार-बार इसी बात पर कायम है कि युद्ध से घबरा कर नेतन्याहू ने ट्रंप की सहायता ली. यानी ईरान से घबरा कर उन्होंने ट्रंप की शरण लेना सही समझा.
ईरान ने किया जुबानी हमला
ट्रंप वैसे ही अपने बड़बोलेपन के लिए काफी मशहूर हैं. ईरान को लेकर भी उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ पर टिप्पणी की और कहा कि खामेनेई को निशाना बनाने की इजराइल की पूरी तैयारी थी. लेकिन अमेरिका ने बीच में आकर उन्हें रोक लिया. ट्रंप का कहना है कि “मैं जानता था कि वह(खामेनेई) कहाँ छिपे हैं, और मैंने इज़रायल या अमेरिकी सेना को उन्हें खत्म करने की अनुमति नहीं दी… मैंने उन्हें बहुत ही बदसूरत और अपमानजनक मौत से बचाया’.
अमेरिकी राष्ट्रपति के इस बयान के बाद ईरान चुप नहीं रहा ईरान की ओर से भी इस पर प्रतिक्रिया सामने आई है. ईरान के विदेश मंत्री ने ट्रंप को खामेनेई के खिलाफ इस तरह के बयान देने से तो रोका ही. साथ ही चेतावनी भी दे डाली कि वह अपनी जुबान पर लगाम रखें. ईरानी मंत्री का कहना है कि महान और शक्तिशाली ईरान के लोगों ने दुनिया को दिखा दिया है. दुनिया ने देखा कि इजराइली शासन के पास हमारी मिसाइलों से लड़ने की क्षमता नहीं थी. इसलिए इनसे बचने के लिए उन्हें डैडी डोनाल्ड ट्रंप के पास भागने की जरूरत पड़ी. इसके अलावा उनके पास और कोई ऑप्शन भी नहीं बचा था.
THAAD न होता तो क्या होता?
उधर ट्रंप ने भी इजराइल का बाखूबी साथ निभाया. पता चला कि आखिर कौन सा देश युद्ध में किसके साथ है. ईरान के सुप्रीम लीडर खामेनेई की मिसाइलों को ट्रंप के आधुनिक एयर डिफेंस सिस्टम THAAD की मदद से ध्वस्त कर दिया. THAAD के आगे ईरान कुछ नहीं बिगाड़ पाया. हालांकि इस युद्ध से फायदा किसी को नहीं पहुंचा. पर नुकसान अनगिनत है. दरअसल युद्ध में टिके रहने के लिए अमेरिका ने महज 12 दिनों में अपने एयर डिफेंस सिस्टम से सुरक्षा में 800 मिलियन डॉलर खऱ्ड डाले. भारतीय करंंसी के हिसाब से यह कीमत 6800 करोड़ रुपये होती है. क्योंकि इससे किसी का फायदा नहीं हुआ इसलिए युद्ध में अमेरिका और इजराइल ने केवल पैसा बर्बाद किया है.

क्या है THAAD एयर डिफेंस सिस्टम?
थाड की अगर बात करें तो इसे टर्मिनल हाई अल्टिट्यूड एरिया डिफेंस सिस्टम भी पुकारा जाता है. यह एक एडवांस मिसाइल सिस्टम है. अब इस सिस्टम की मदद से हाई एल्टीट्यूड वाली बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने में काफी मदद मिलती है. इसलिए ईरान की मिसाइल के सामने इस सिस्टम का इस्तेमाल किया गया. अमेरिका के लिए मानों ये डिफेंस सिस्टम किसी हीरे से कम नहीं. यह Aegis और Patriot सिस्टम के साथ मिलकर काम करता है. अमेरिका के THAAD में AN/TPY-2 रडार, लॉन्चर, इंटरसेप्टर मिसाइलें और फायर कंट्रोल सिस्टम लगा हुआ हैं.
यहां जानें इसकी खूबियां
इसकी अगर खूबियों के बारे में बात की जाए तो यए एक ऐसा डिफेंस सिस्टम है, जिसकी स्पीड हाइपरसोनिक मिसाइल के हमलों को रोकने में काफी कारगर है. 150 किमी इसकी रेंज. अमेरिका का ऐसा भी कहना और मानना है कि यह मुख्य रूप से लांग रेंज की बैलिस्टिक मिसाइलों को ध्वस्त करने के लिए डिजाइन किया गया है. वहीं इसे अमेरिका ने इजराइल, दक्षिण कोरिया जैसे देशों में तैनात किया है. इजरायल को ईरान और साउथ कोरिया को नॉर्थ कोरिया के हमलों से बचाने के लिए अमेरिका ने इसे एक्टिव किया हुआ है.
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4 thoughts on “Iran Israel War: न होते ट्रंप तो क्या बच पाती इजराइल की जान? THAAD ने रख ली नेतन्याहू की लाज!”